what is margin money |
मार्जिन मनी क्या हैं और मार्जिन किसे कहते हैं और चाहे वह बैंक लोन के समय लिए जाने वाला मार्जिन मनी हो या फिर चाहे वह व्यवसाय में लिए जाने वाला मार्जिन मनी हो आज के इस पोस्ट में मार्जिन मनी के बारे विस्तार से चर्चा करने वाले हैं अगर आप मार्जिन और मार्जिन मनी से संबंधित जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप आज की इस पोस्ट में हमारे साथ बने रहिए, धन्यवाद !!
इस विषय पर गहन चर्चा प्रारम्भ करने से पहले आप जान लीजिये, आज हम मार्जिन मनी से सम्बन्धी किन-किन विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले हैं वह सभी नीचे दिए गए हैं
मार्जिन की बात करें, करें तो एक मार्जिन मनी ब्रॉकर के द्वारा के भी लिया जाता हैं और एक मार्जिन मनी बैंक के द्वारा भी लिया जाता हैं परन्तु इसमें थोड़ा सा डिफरेंस हैं और हम आज के इस लेख में बैंक के द्वारा लिए जाने वाले मार्जिन की बात करने वाले हैं
मार्जिन मनी क्या हैं? (what is margin money)
मार्जिन मनी वह अमाउंट हैं जो की बैंक के द्वारा लोन देते समय कस्टमर से उस लोन के कुछ प्रतिशत अमाउंट का कैश पहले भरवाया जाता हैं जिसे हम मार्जिन मनी कहते हैं
मार्जिन मनी की इस गुत्थी को हम एक उदाहरण के तहत समझते हैं जिससे आपको सही ढंग से मार्जिन मनी का मतलब पता चल जाए !
मान लीजिए की आपने बैंक में 10 लाख के लोन के लिए अप्लाई किया था और वह एप्रूव्ड हो गया, लोन एप्रूव्ड होने के बाद बैंक आपसे मार्जिन मनी के रूप में कुछ कैश पहले जमा करने के लिए कहता हैं सभी बैंक का मार्जिन मनी पहले से निश्चित रहता हैं कितने के लोन पर कितने प्रतिशत का मार्जिन मनी चार्ज करना हैं और मान लीजिये, की 10 लाख के लोन पर 20% का बैंक ने मार्जिन निश्चित किया हैं तो आपको बैंक 2 लाख का पहले जमा करने होंगे, और इस अमाउंट को बैंक मार्जिन कहता हैं और हम आम बोल चल की भाषा में डाउन पेमेंट बोलते हैं
अब आप सभी के मन में एक कॉमन सा question उठ रहा होगा, की बैंक मार्जिन मनी क्यों लेता हैं तो चलिए जान लेते हैं
बैंक मार्जिन मनी क्यों लेता हैं?
एक सामान्य सी बात हैं की यह प्रश्न तो सभी के मन में उठता हैं की बैंक मार्जिन क्यों चार्ज करता हैं तो इसका उत्तर बेहद ही आसान हैं की बैंक कस्टमर से मार्जिन क्यों लेता हैं
बैंक कस्टमर से मार्जिन इस बात की पुष्टि करने के लिए लेता हैं की कस्टमर जिस भी उद्योग धंधे के लिए पैसे ले रहा हैं वह उस में स्वयं भी पैसे लगाने को तैयार हैं और वह इस उद्योग के लिए पहले से ही पैसे इकढ्ढा कर रहा था जिससे बैंक अनुमान लगा लेता हैं की कस्टमर को वह जो लोन प्रोवाइड कर रहा हैं वह उस लोन को उस कार्य में लगाएगा और उसके पैसे डुबेंगे नहीं!
मार्जिन की कोई भी fixed अमाउंट नहीं होती हैं यह तो बैंक दर बैंक बदलती रहती हैं सभी बैंक अपने अपने हिसाब से मार्जिन सुनिश्चित करते हैं
मार्जिन मनी और ज़मानत में क्या अंतर हैं?
मार्जिन की अमाउंट को कुछ लोग ज़मानत के तरह समझ लेते हैं परन्तु में आपको बताना चाहता हूँ की यह सामान नहीं दोनों में बहुत अंतर हैं और वह अंतर क्या हैं चलिए जानते हैं
मार्जिन - बैंक के द्वारा मार्जिन लोन के समय लिया जाता हैं इस बात की पुष्टि करने के लिए की आप उस पैसे को जिस भी कार्य के लिए ले रहे हैं उसमे हो निवेश करेंगे !
ज़मानत - ज़मानत बैंक इस लिए लेता हैं जैसे अगर अपने 10 लाख का लोन लिया और लोन जमा करने के समय आप यूज़ भरने से इंकार करदेते हैं या फुर किसी कारण बस आप उस लोन की अमाउंट को आप चूका नहीं पाते हैं या चुकाना नहीं चाहते हैं तो इस स्तिथि में बैंक उस जमानत के रूप में रखे गए आपकी प्रॉपर्टी की नीलामी कर अपने पैसे बसूलता हैं
शायद आपको इन दोनों में अंतर समझ आया होगा और आपका यह कंफ्यूजन भी दूर हो गया होगा !
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